छोड़ी हुई बस्तियाँ
जाता हूँ बार-बार घूम-घूम के
मिलते नहीं वो निशाँ
छोड़े थे दहलीज़ चूम-चूम के
चौपाये चर जाएँगे
जंगल की क्यारियाँ हैं
पगडंडियों पे मिलना
दो दिन की यारियाँ हैं
क्या जाने कौन जाए
आरी से बारी आए
हम भी क़तार में हैं
जब भी सवारी आए
Tuesday
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